नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में दोहरी मतदाता सूची में दर्ज मतदाताओं और प्रत्याशियों को बड़ी राहत देने वाले राज्य निर्वाचन आयोग के निर्देश पर रोक लगा दी है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि जिन व्यक्तियों के नाम नगर निकाय और ग्राम पंचायत दोनों की मतदाता सूचियों में दर्ज हैं, उन्हें चुनाव लड़ने और मतदान करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
मुख्य न्यायाधीश श्री जी.एस. नरेन्द्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने शुक्रवार को समाजसेवी शक्ति सिंह बर्वाल द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि वर्तमान में चल रही नामांकन प्रक्रिया को देखते हुए इस बार के पंचायत चुनाव में किसी प्रकार का तत्काल हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा।
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा कि भारत के किसी भी राज्य में एक व्यक्ति का नाम दो अलग-अलग मतदाता सूचियों में होना कानूनन गलत है और यह भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि उत्तराखंड राज्य निर्वाचन आयोग ने किस आधार पर ऐसे मतदाताओं और प्रत्याशियों को पंचायत चुनाव में भाग लेने की अनुमति दी?
शक्ति सिंह बर्वाल ने इससे पहले 7 और 8 जुलाई को राज्य निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर दोहरी सूची वाले मतदाताओं को चुनाव प्रक्रिया से बाहर रखने की मांग की थी। आयोग द्वारा दिए गए अस्पष्ट जवाबों और उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम की धारा 9 की उपधारा 6 व 7 के उल्लंघन का हवाला देते हुए उन्होंने उच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया।
