बचपन की मासूम शरारत कब जानलेवा बन जाए, कहा नहीं जा सकता। कुछ ऐसा ही हुआ ढाई साल की एक बच्ची के साथ, जिसने खेलते-खेलते घर में पड़ा कान का झुमका उठाया और मुंह में डाल लिया।
परिजनों को जब तक कुछ समझ आता, वह झुमका निगल चुकी थी और वह बच्ची गले में फंसे धातु के टुकड़े से घुटने लगी।
घटना के बाद परिवार ने बिना देर किए उसे एक निजी अस्पताल पहुंचाया, लेकिन हालात गंभीर थे। समय की नज़ाकत को समझते हुए परिजन उसे तुरंत डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय (STH), हल्द्वानी लेकर पहुंचे।
वहां ईएनटी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अचिन पंत और उनकी टीम ने तत्परता दिखाई और दूरबीन विधि (एंडोस्कोपी) से सफल ऑपरेशन कर झुमका निकाल लिया। बच्ची की जान समय रहते बचाई जा सकी।
डॉक्टर बोले — ये सिर्फ एक झुमका नहीं था, जानलेवा खतरा था
डा. अचिन पंत ने बताया,
“बच्ची की सांसें रुक रही थीं। गला ब्लॉक हो चुका था। एक पल की देर भारी पड़ सकती थी। गनीमत रही कि समय पर पहुंचाया गया और हमारी टीम तुरंत ऑपरेशन के लिए तैयार थी।”
उन्होंने बताया कि बच्ची को 26 जून की रात अस्पताल लाया गया था, और 27 जून को सफल ऑपरेशन के बाद बच्ची को डिस्चार्ज कर दिया गया है। अब उसकी हालत सामान्य और स्थिर है।
⚠️ जागरूक रहें: जानलेवा हो सकती है एक छोटी सी चीज़
डा. पंत ने माता-पिता को चेताया:
“गर्मियों में बच्चे अक्सर सिक्के, बटन, झुमके, छोटे खिलौने आदि मुंह में डालते हैं। ये चीज़ें उनके गले या सांस की नली में फंस सकती हैं, जिससे बच्चा दम घुटने से बेहोश हो सकता है या जान भी जा सकती है।”
उन्होंने अपील की कि 3 साल से कम उम्र के बच्चों के आसपास कोई भी छोटी, नुकीली या निगली जा सकने वाली वस्तुएं न रखें। बच्चे ठंडक या चबाने की चाह में कुछ भी मुंह में डाल लेते हैं — ये लापरवाही ज़िंदगी भर का अफसोस बन सकती है।
✅ सीख:
बच्चों के आसपास सजावटी सामान, छोटे खिलौने और गहने कभी न रखें।
एक सेकंड की सतर्कता, एक ज़िंदगी बचा सकती है।
