क्या रुक जाएगा पंचायत चुनाव? हाई कोर्ट के आदेश ने बढ़ाई हलचल!

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उत्तराखंड हाई कोर्ट ने राज्य के 12 जिलों में चल रही त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव प्रक्रिया पर रोक संबंधी भ्रम को दूर करते हुए साफ कर दिया है कि चुनाव प्रक्रिया पर कोई रोक नहीं है, बल्कि केवल राज्य निर्वाचन आयोग के 6 जुलाई के सर्कुलर पर अस्थायी रोक लगाई गई है।

 

यह स्पष्टीकरण सोमवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ द्वारा राज्य निर्वाचन आयोग के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई के दौरान सामने आया। आयोग ने कोर्ट से आग्रह किया था कि शहरी और ग्रामीण दोनों मतदाता सूचियों में नाम रखने वाले प्रत्याशियों के चुनाव लड़ने पर लगी रोक से चुनावी प्रक्रिया बाधित हो रही है, जिसे स्पष्ट किया जाए।

 

कोर्ट ने अपने पुराने आदेश में कोई बदलाव नहीं किया, लेकिन मौखिक रूप से यह कहा कि चुनाव प्रक्रिया को रोका नहीं गया है और आयोग पंचायती राज अधिनियम के अनुसार प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए स्वतंत्र है।

 

आयोग के अधिवक्ता संजय भट्ट ने कहा कि कोर्ट के इस रुख के बाद अब चुनावी प्रक्रिया में कोई कानूनी अड़चन नहीं है और चुनाव आगे बढ़ सकते हैं।

 

🔎 पृष्ठभूमि: कहां से शुरू हुआ विवाद?

यह पूरा मामला रुद्रप्रयाग निवासी सतेंद्र सिंह बर्थवाल की याचिका से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने कहा कि पंचायती राज अधिनियम की धारा 9(6) के अनुसार, जो व्यक्ति एक से अधिक मतदाता सूचियों (ग्रामीण व शहरी) में शामिल है, वह चुनाव नहीं लड़ सकता।

 

हाई कोर्ट ने इसी आधार पर 6 जुलाई को जारी निर्वाचन आयोग के सर्कुलर पर रोक लगाई थी, जिसके तहत ऐसे प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने की अनुमति दी गई थी।

 

इस आदेश से चुनावी प्रक्रिया को लेकर भ्रम की स्थिति बन गई थी, क्योंकि प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में रिटर्निंग अधिकारियों ने इस मामले में अलग-अलग निर्णय लिए—कहीं नामांकन खारिज किए गए तो कहीं स्वीकार कर लिए गए।

 

🧾 आयोग की आपत्ति

रविवार को आयोग ने कोर्ट में एक प्रार्थना पत्र दाखिल कर कहा कि वे चुनावी प्रक्रिया में भारी संसाधन खर्च कर चुके हैं और अगर इस रोक को स्पष्ट न किया गया तो आगे की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न हो सकती है।

 

आयोग ने यह भी कहा कि कोर्ट के आदेश से पूरी चुनाव प्रक्रिया अवरुद्ध हो गई है, इसलिए स्थिति स्पष्ट करना जरूरी है।

 

⚖️ कोर्ट का रुख स्पष्ट

हालांकि, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिजय नेगी ने कहा कि कोर्ट ने अपने आदेश में कोई बदलाव नहीं किया है और अब सबकी नजर कोर्ट के आधिकारिक लिखित आदेश पर टिकी है।

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