नैनीताल। उत्तराखण्ड के नैनीताल में जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनाव से पहले जबरदस्त ड्रामा! सुबह-सुबह खबर आई कि कुछ चुने हुए सदस्य रहस्यमय तरीके से *गायब* हो गए हैं, जिनके अपहरण के आरोप सीधे सत्ता पक्ष पर लगे। मामला हाईकोर्ट पहुंचा, और फिर जो हुआ, वो किसी पॉलिटिकल थ्रिलर से कम नहीं था।
27 सदस्यीय मतदान में कांग्रेस समर्थित गुट के नेता 10 सदस्यों को लेकर सीधे हाईकोर्ट पहुंचे। अदालत में आरोप लगाया गया कि विरोधी गुट ने कुछ सदस्यों को उठा लिया है और बाकी पर दबाव बनाया जा रहा है।
मुख्य न्यायाधीश ने तत्काल DM वंदना सिंह और SSP प्रह्लाद नारायण मीणा को ऑनलाइन पेश होने का आदेश दिया। कोर्टरूम में वकीलों की गरमा-गरम दलीलें चलीं — एक तरफ याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अवतार सिंह रावत और डी.एस. मेहता थे, तो दूसरी तरफ महाधिवक्ता एस.एन. बाबुलकर और C.S.C. चंद्रशेखर सिंह रावत।
अदालत ने सख्त रुख अपनाते हुए मौजूद 10 सदस्यों — देवकी बिष्ट, पूनम बिष्ट, पुष्पा नेगी, निधि जोशी, अनीता आर्या, जिशान्त कुमार, अर्नव कंबोज, मीना देवी, हेम चंद नैनवाल और संजय बोहरा — को हाईकोर्ट की सुरक्षा में मतदान स्थल तक पहुंचाने के आदेश दिए। इस ‘ऑपरेशन वोटिंग’ की कमान सी.ओ. रमेश बिष्ट को सौंपी गई।
इसी बीच यह भी सामने आया कि 5 सदस्य शहर से बाहर हैं। उन्हें ढूंढकर लाने और वोटिंग करवाने का जिम्मा SSP को मिला। याचिकाकर्ता का आरोप था — “दिन-दहाड़े पुलिस और सत्ता के लोग धमका रहे हैं, उठा कर ले जा रहे हैं।”
महाधिवक्ता ने इसे राजनीतिक दबाव की कोशिश बताया, जबकि मुख्य न्यायाधीश ने साफ किया कि अदालत में मौजूद अधिवक्ता बार के सम्मानित सदस्य हैं।
अब शाम 4:30 बजे DM और SSP को हाईकोर्ट में पेश होना है… और पूरे नैनीताल में ये सवाल गूंज रहा है — क्या चुनाव नतीजे से पहले एक और बड़ा पॉलिटिकल ट्विस्ट आने वाला है?
