देहरादून।
उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस के रजत जयंती वर्ष के अवसर पर राजधानी देहरादून में प्रवासी उत्तराखंडियों का भव्य सम्मेलन आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देश-विदेश से आए प्रवासी उत्तराखंडियों का स्वागत करते हुए कहा कि ये सभी प्रवासी उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत के सच्चे रक्षक और राज्य के ब्रांड एंबेसडर हैं। उन्होंने कहा कि भले ही प्रवासी उत्तराखंडी मीलों दूर रह रहे हों, लेकिन उनका हृदय आज भी अपने पैतृक गांवों और पूर्वजों की धरती से गहराई से जुड़ा है।
कार्यक्रम का आयोजन देहरादून यूनिवर्सिटी में किया गया, जिसमें 11 राज्यों से करीब 199 प्रवासी उत्तराखंडी शामिल हुए। यह उत्तराखंड में दूसरी बार आयोजित हुआ प्रवासी उत्तराखंडी सम्मेलन था। मुख्यमंत्री धामी ने इस अवसर पर कहा कि राज्य की रजत जयंती वर्ष के रूप में मनाया जा रहा यह समय हर उत्तराखंडी के लिए गर्व और आत्मचिंतन का अवसर है। उन्होंने प्रवासियों से अपील की कि वे अपने पैतृक गांवों के विकास में सहयोग करें और अपने अनुभवों से राज्य के विकास में योगदान दें।
कार्यक्रम में लखनऊ से पहुंचे वरिष्ठ वैज्ञानिक एम.पी. भट्ट ने अपने संबोधन में कहा कि टिहरी गढ़वाल के भद्रासू (पूजारगांव) और झनौं—इन दो गांवों को गोद लेकर सेवा का जो अवसर उन्हें प्राप्त हुआ, वह उनके जीवन की सबसे पवित्र और आध्यात्मिक उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री धामी द्वारा प्रवासी उत्तराखंडियों को जोड़ने और उन्हें सम्मान देने का जो प्रयास किया गया है, वह अत्यंत सराहनीय है। भट्ट ने बताया कि उनके द्वारा गोद लिए गए गांवों में अब दिशा और दशा दोनों में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिल रहा है।
अन्य प्रवासियों ने भी अपने उद्बोधन में कहा कि इस सम्मेलन का हिस्सा बनना उनके लिए आत्मसंतोष और गर्व का क्षण है। उन्होंने उत्तराखंड सरकार द्वारा प्रवासियों को दिए जा रहे सम्मान और संवाद मंच की सराहना की।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि पिछले चार वर्षों में उन्हें देश और विदेश के अनेक शहरों में प्रवासी उत्तराखंडियों से मिलने का अवसर मिला। उन्होंने अनुभव साझा करते हुए कहा कि प्रवासियों के मन में आज भी अपने गांव, अपनी संस्कृति और अपनी मिट्टी के प्रति अटूट लगाव है। उन्होंने कहा कि रजत जयंती वर्ष में यह सम्मेलन राज्य और प्रवासियों के बीच अपनत्व की डोर को और मजबूत करेगा।
समापन पर
कार्यक्रम का समापन सामूहिक संकल्प के साथ हुआ, जिसमें प्रवासी उत्तराखंडियों ने राज्य की उन्नति और अपने पैतृक गांवों के विकास में सक्रिय योगदान देने का वचन दिया। मुख्यमंत्री ने सभी प्रवासियों को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि “आप सभी उत्तराखंड की पहचान और गौरव को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में राज्य के सच्चे सहभागी हैं।”

