राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कुमाऊँ विश्वविद्यालय के 20वें दीक्षांत समारोह में की शिरकत, कहा—“शिक्षा का उद्देश्य केवल बुद्धि नहीं, चरित्र निर्माण भी है”

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नैनीताल, 04 नवंबर 
भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने मंगलवार को कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल के 20वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग कर समारोह की शोभा बढ़ाई। उन्होंने उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल और उपाधियां प्रदान करते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।

इस अवसर पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि), उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, कुलपति प्रो. दीवान सिंह रावत, कुमाऊँ मंडल के आयुक्त दीपक रावत, आईजी रिद्धिम अग्रवाल समेत विश्वविद्यालय की कार्य परिषद, शिक्षा परिषद के सदस्य और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

अपने संबोधन में राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि “शिक्षा किसी भी राष्ट्र के विकास की नींव होती है।” उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल विद्यार्थियों की बुद्धि और कौशल का विकास करना नहीं, बल्कि उनके नैतिक बल और चरित्र को सुदृढ़ करना होना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे अपनी शिक्षा को वंचित वर्गों की सेवा और राष्ट्र निर्माण के कार्य में समर्पित करें—यही सच्चा धर्म है, जो सच्चा सुख और संतोष देता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था आज विश्व की सबसे तेजी से विकसित होती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है, और सरकार युवाओं के लिए अनेक अवसर सृजित कर रही है। उच्च शिक्षण संस्थानों का दायित्व है कि वे विद्यार्थियों को इन अवसरों का लाभ उठाने हेतु प्रेरित करें।

उन्होंने कहा कि शोध, नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देना समय की मांग है। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि कुमाऊँ विश्वविद्यालय शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार में उत्कृष्टता की दिशा में अग्रसर है। उन्होंने विश्वविद्यालय से बहुविषयक दृष्टिकोण को अपनाने की अपील की ताकि शिक्षा का प्रभावी अनुप्रयोग सुनिश्चित हो सके।

राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि हिमालय अपनी जीवनदायिनी संपदाओं के लिए प्रसिद्ध है, और इन संसाधनों का संरक्षण-संवर्धन हम सबकी जिम्मेदारी है। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों की सराहना की।

उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षण संस्थाओं की सामाजिक जिम्मेदारी होती है कि वे आसपास के गांवों में जाकर वहां के लोगों की समस्याओं को समझें और समाधान के प्रयास करें। वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य में विद्यार्थियों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।

इस अवसर पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (से नि) गुरमीत सिंह ने कहा कि राष्ट्रपति महोदया का सानिध्य राज्य के लिए गर्व का विषय है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि शिक्षा तभी सार्थक है जब वह सेवा, सत्यनिष्ठा और संवेदना से जुड़ी हो।

राज्यपाल ने युवाओं को नशे से दूर रहने, अनुशासन, ईमानदारी और जिम्मेदारी जैसे मूल्यों को अपनाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि “सच्चा आनंद नशे में नहीं, बल्कि अपने लक्ष्य की प्राप्ति, सेवा और सृजन में है।”

उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे तकनीकी युग की चुनौतियों को अवसर में बदलें, और कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डेटा विज्ञान, डिजिटलीकरण जैसे क्षेत्रों में आगे बढ़ें। राज्यपाल ने कहा कि समय का मूल्य समझें, सत्य और ईमानदारी से समझौता न करें, और अपनी संस्कृति से जुड़े रहें — यही आपकी असली पहचान बनेगी।

 

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