हल्दूचौड़ श्रीरामलीला कमेटी कार्यालय को लेकर विवाद गहराया, ताला तोड़ने की शिकायत कोतवाली में दी गई

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लालकुआं, हल्दूचौड़।
हल्दूचौड़ में श्रीरामलीला कमेटी के कार्यालय को लेकर दो पक्षों के बीच विवाद गहराता जा रहा है। शनिवार देर शाम उस वक्त माहौल गरमा गया जब एक पक्ष ने कमेटी कार्यालय का ताला तोड़कर नया ताला लगा दिया। इस पर पुराने पदाधिकारियों ने विरोध जताते हुए कोतवाली लालकुआं में तहरीर दी और कड़ी कार्रवाई की मांग की।

श्रीरामलीला कमेटी के अध्यक्ष कैलाश दुम्का, सचिव शैलेन्द्र दुम्का समेत कई पदाधिकारी कोतवाली पहुंचे और प्रभारी निरीक्षक दिनेश सिंह फर्त्याल को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि आदर्श प्राथमिक विद्यालय परिसर के अटल सभागार में स्थित कार्यालय का ताला तोड़ा गया है। उन्होंने मांग की कि इस अवैध कृत्य में शामिल लोगों पर सख्त कार्रवाई हो और कार्यालय में रखे दस्तावेजों एवं सामग्री की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।

पदाधिकारियों ने दावा किया कि यह श्रीरामलीला कमेटी पिछले 40 वर्षों से रामलीला का मंचन कर रही है और यह एक रजिस्टर्ड कमेटी है। उन्होंने कहा कि कोविड काल के दौरान जब मंचन नहीं हो पाया, तो कुछ युवकों ने मंचन शुरू किया, लेकिन अब ग्रामीणों की सहमति से यह जिम्मा फिर से पुरानी कमेटी को सौंपा गया है।

वहीं, बीते तीन वर्षों से रामलीला का आयोजन कर रहे रोहित बिष्ट ने आरोप लगाया कि उन्हें बिना सूचना दिए नई कमेटी बना दी गई। उन्होंने कहा कि कोविड काल में जब पुरानी कमेटी निष्क्रिय थी, तब ग्रामीणों की मांग पर उन्होंने श्रीरामलीला का सफल मंचन किया और खर्चों से बचत भी की। उन्होंने यह भी बताया कि तीन सालों से कार्यालय की चाबी उनके पास थी, और हाल ही में उन्होंने खुद चाबी सौंप दी थी। लेकिन जब सुंदरकांड पाठ के लिए चाबी नहीं मिली, तो ग्रामीणों ने ताला तोड़कर नया ताला लगाया।

उन्होंने यह भी कहा कि कार्यालय में रखा अधिकांश सामान उन्हीं के प्रयासों से जुटाया गया है, जिसमें मंचन से जुड़ी सामग्री शामिल है।

पुलिस की पहल:
कोतवाली प्रभारी दिनेश सिंह फर्त्याल ने बताया कि मामले में दोनों पक्षों की शिकायतें प्राप्त हुई हैं। उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव के बाद दोनों पक्षों को बैठाकर आपसी सहमति से समाधान कराने का प्रयास किया जाएगा, ताकि धार्मिक आयोजन की गरिमा बनी रहे और विवाद खत्म हो।

ग्रामीणों में चर्चा का विषय बना मामला
यह विवाद अब हल्दूचौड़ क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। जहां एक ओर वर्षों पुरानी परंपरा की बात की जा रही है, वहीं दूसरी ओर बीते तीन वर्षों के प्रयासों को भी ग्रामीण नजरअंदाज नहीं कर पा रहे। ऐसे में देखना यह होगा कि आने वाले दिनों में श्रीरामलीला मंचन का दायित्व किस पक्ष को सौंपा जाता है।

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