हल्द्वानी, उत्तराखंड।
राज्य में वनों के अंधाधुंध दोहन और जलवायु में हो रहे असमय परिवर्तन के बावजूद सरकारी तंत्र की उदासीनता एक बार फिर उजागर हुई है। हल्द्वानी में चोरगलिया रोड पर 150 पेड़ों की कटाई को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। इस मामले में वन विभाग ने लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है।
गौरतलब है कि गौला पुल और वनभूलपुरा रेलवे क्रॉसिंग के बीच चोरगलिया रोड पर पिछले वर्ष सितंबर में गौला नदी के उफान के कारण सड़क का एक बड़ा हिस्सा कटाव की चपेट में आ गया था। इससे सड़क की चौड़ाई आधी रह गई थी और दिन-रात जाम की समस्या उत्पन्न हो गई थी। हालात इतने खराब हो गए थे कि रेलवे क्रॉसिंग तक ट्रैफिक का दबाव बढ़ने से दुर्घटनाओं का खतरा मंडराने लगा था।
इस संकट से निपटने के लिए लोनिवि ने सड़क चौड़ीकरण की योजना बनाई और कटाव वाले क्षेत्र के दूसरी ओर सड़क विस्तार का निर्णय लिया। इस प्रक्रिया में सड़क किनारे खड़े करीब 150 पेड़ों को काटना पड़ा। वन विभाग की देखरेख में इन पेड़ों की गिनती और मूल्यांकन कराया गया था, जिसके बाद उन्हें टेंडर के माध्यम से बेच भी दिया गया।
हालांकि, वन अधिकारियों का कहना है कि पेड़ काटने और उनके परिवहन के लिए लोनिवि ने विभाग से अनिवार्य अनुमति नहीं ली, जो कि वन संरक्षण अधिनियम का सीधा उल्लंघन है। इस अधिनियम के तहत पेड़ों की कटाई और उनके परिवहन (आरामशीन) के लिए पूर्वानुमति लेना अनिवार्य होता है।
वन विभाग ने इसे गंभीर मामला मानते हुए लोनिवि के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। तराई पूर्वी वन प्रभाग के डीएफओ हिमांशु बागरी ने पुष्टि की कि “मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।”
इस घटनाक्रम से दोनों विभागों के बीच तनाव की स्थिति बन गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इसी तरह वन अधिनियम की अनदेखी कर पेड़ों की कटाई होती रही, तो इसका दीर्घकालिक प्रभाव पर्यावरण और स्थानीय जलवायु पर पड़ सकता है।
