देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2025 के लिए आरक्षण संबंधी शासनादेश जारी कर दिया है। शासन ने स्पष्ट किया है कि अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी। वहीं, पंचायतों में महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देते हुए 3909 ग्राम प्रधान पद महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए हैं।
शासनादेश के अनुसार, आरक्षण का निर्धारण वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर किया गया है। राज्य के 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायतों के पदों पर आरक्षण इस फार्मूले से किया गया है कि संबंधित जाति की जनसंख्या को कुल जनसंख्या से भाग देकर, उसे अध्यक्ष पदों की कुल संख्या से गुणा किया गया है।
आरक्षण का विवरण:
जिला पंचायत अध्यक्ष पद:
- अनुसूचित जाति (SC): 2 पद
- अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC): 2 पद
क्षेत्र पंचायत प्रमुख पद:
- अनुसूचित जनजाति (ST): 3 पद
- अनुसूचित जाति (SC): 18 पद
- अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC): 15 पद
ग्राम पंचायत प्रधान पद:
- अनुसूचित जनजाति (ST): 226 पद
- अनुसूचित जाति (SC): 1467 पद
- अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC): 1250 पद
- महिलाओं के लिए आरक्षित कुल प्रधान पद: 3909
आरक्षण प्रक्रिया की समय-सारणी:
- प्रधान पदों की संख्या का विवरण: 11 जून
- अनंतिम आरक्षण प्रस्तावों का प्रकाशन: 13 जून
- आपत्तियां प्राप्त करने की तिथि: 14 से 15 जून
- आपत्तियों का निस्तारण (डीएम स्तर पर): 16 से 17 जून
- अंतिम आरक्षण प्रस्तावों का प्रकाशन: 18 जून
- प्रस्ताव निदेशालय को प्रेषित: 19 जून
- प्रस्ताव शासन व राज्य निर्वाचन आयोग को: 19 जून
यह कदम राज्य में सामाजिक समरसता और महिला भागीदारी को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। आगामी पंचायत चुनावों में यह आरक्षण नीति निर्णायक भूमिका निभाएगी।
