उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर फिलहाल स्थिति साफ नहीं है। सरकार एक ओर जहां पंचायती राज अधिनियम (Panchayati Raj Act) में संशोधन नहीं करा पाई है, वहीं दूसरी ओर ओबीसी आरक्षण के निर्धारण पर भी कोई ठोस निर्णय नहीं ले सकी है। इस कारण चुनाव प्रक्रिया लगातार टलती जा रही है।
सरकार की निगाह अब राजभवन की मंजूरी पर टिकी हुई है, जहां पंचायत राज एक्ट संशोधन से जुड़ा अध्यादेश विचाराधीन है। सूत्रों के अनुसार, यदि इस अध्यादेश को राजभवन से हरी झंडी मिल जाती है, तो इसी महीने के अंत तक त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी की जा सकती है।
इस बीच, राज्य की त्रिस्तरीय पंचायतें फिलहाल प्रशासकों के हवाले हैं। राज्य सरकार ने कार्यकाल पूरा कर चुके ग्राम प्रधानों, क्षेत्र पंचायत प्रमुखों और जिला पंचायत अध्यक्षों को ही अंतरिम प्रशासक के रूप में जिम्मेदारी सौंप रखी है। दरअसल, पंचायतों का कार्यकाल नवंबर-दिसंबर 2024 में ही पूरा हो चुका था, लेकिन समय रहते चुनाव न हो पाने के कारण सरकार के पास प्रशासकों को जिम्मेदारी सौंपने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा।
राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से पंचायत चुनाव की तैयारियां पूरी बताई जा रही हैं। आयोग के आयुक्त सुशील कुमार ने स्पष्ट किया है कि आयोग पूरी तरह से तैयार है, अब सरकार पर निर्भर करता है कि वह कब तक आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करती है।
गौरतलब है कि आयोग की ओर से मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण पहले ही किया जा चुका है। अब सिर्फ ओबीसी आरक्षण निर्धारण की प्रक्रिया शेष है, जो तकनीकी रूप से पंचायत राज एक्ट संशोधन पर निर्भर है। ऐसे में चुनाव की घड़ी अब सरकार के निर्णय और राजभवन की मंजूरी पर टिकी हुई है।
